उत्तराखंड विधानसभा में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी एक संसदीय शिक्षक की तरह पेश आए। उन्होंने सदस्यों को प्रजातांत्रिक व संसदीय मूल्यों का महत्व समझाते हुए आगाह भी किया कि प्रश्नकाल के समय को जनता को समर्पित करे। सदन में वाद विवाद, विचार विमर्श, निर्णय पर फोकस करे और व्यवधान से बचे।
उन्होंने इसके लिए ब्रिटिशकाल में मद्रास विधानसभा के एक विधायक का उदाहरण भी दिया। जो सवाल लगाने को लेकर ही देश भर में प्रसिद्ध हो गया था।
यह पहला मौका था जब देश के राष्ट्रपति ने उत्तराखंड की विधानसभा को संबोधित किया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि गणतंत्र के संस्थापकों ने भी माना कि संसदीय प्रणाली ही हमारे स्वभाव से मेल खाती है। लोकतंत्र में बहुमत को अल्पमत के विचारों का सम्मान करने व स्वीकार करने में संकोच नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विधायकों द्वारा विधि निर्माण पर खर्च किया जाने वाला समय कम होना चिंताजनक है।
उन्होंने इसके लिए ब्रिटिशकाल में मद्रास विधानसभा के एक विधायक का उदाहरण भी दिया। जो सवाल लगाने को लेकर ही देश भर में प्रसिद्ध हो गया था।
यह पहला मौका था जब देश के राष्ट्रपति ने उत्तराखंड की विधानसभा को संबोधित किया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि गणतंत्र के संस्थापकों ने भी माना कि संसदीय प्रणाली ही हमारे स्वभाव से मेल खाती है। लोकतंत्र में बहुमत को अल्पमत के विचारों का सम्मान करने व स्वीकार करने में संकोच नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विधायकों द्वारा विधि निर्माण पर खर्च किया जाने वाला समय कम होना चिंताजनक है।
महामहिम ने समझाईं विधायिका की शक्तियां
विधि निर्माण व वित्त मामलों में एहतियात बरतने की जरूरत बल देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि ध्यान रहे, विधायिका के अनुमोदन के बगैर कार्यपालिका ना तो कोई व्यय कर सकती है और ना ही कोई कर लगा सकती है। राज्य की समेकित निधि से धन भी नहीं निकाल सकती।
राष्ट्रपति ने कहा कि साल भर में कम से कम सौ दिन सदन की कार्यवाही होनी चाहिए। 16वीं लोकसभा में 90 दिन बैठकें हुई और 55 विधेयक पारित हुए। चौथे सत्र में ही 24 विधेयक पारित हुए। यह सत्र 55 घंटे और 19 मिनट देरी तक चला। लेकिन व्यवधान ने 7 घंटे 4 मिनट बर्बाद किए।
उन्होंने इस बात की सराहना की कि वर्तमान लोकसभा में पहली बार चुनकर आए 318 सांसदों ने गुणवत्तापूर्ण बहस की। इसलिए सभी सदस्य खूब प्रश्न लगाए, बहस करे और निर्णय पर पहुंचे। लेकिन सदन के भीतर होने वाले विचार विमर्श का विषय और गुणवत्ता का सर्वोत्तम हो। विधानसभा की तमाम समितियों में विधायकों की भागीदारी से सरकारी विभागों की दिक्कतें दूर होने चाहिए। प्रश्नकाल, संबंधित मंत्रालयों से सवाल पूछना और आश्वासन प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।
No comments:
Post a Comment